माँ पर कविता – Maa Par Kavita in Hindi

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माँ पर कविता
Maa Par Kavita in Hindi

मैं अपने छोटे मुख से कैसे करूँ तेरा गुणगान,
माँ तेरी ममता में फीका सा लगता है भगवान…

माता कौशल्या के घर में जन्म राम ने पाया,
ठुमक-ठुमक आँगन में चलकर सबका हृदय जुड़ाया,
पुत्र प्रेम में थे निर्मगन कौशल्या माँ के प्राण,
माँ तेरी ममता में फीका सा लगता है भगवान…

दे मातृत्व देवकी को यशोदा की गोद सुहाई,
ले लकुटी वन-वन भटके गोचारण कियो कन्हाई,
सारे ब्रजमंडल में गूँजी थी वंशी की तान,
माँ तेरी ममता में फीका सा लगता है भगवान…

तेरी समता में तू ही है मिले न उपमा कोई,
तू न कभी निज सुत से रूठी मृदुता अमित समोई,
लाड़-प्यार से सदा सिखाया तूने सच्चा ज्ञान,
माँ तेरी ममता में फीका-सा लगता भगवान…

कभी न विचलित हुई रही सेवा में भूखी प्यासी,
समझ पुत्र को रुग्ण मनौती मानी रही उपासी,
प्रेमामृत नित पिला पिलाकर किया सतत कल्याण,
माँ तेरी समता में फीका-सा लगता भगवान…

‘विकल’ न होने दिया पुत्र को कभी न हिम्मत हारी,
सदय अदालत है सुत हित में सुख-दुख में महतारी,
काँटों पर चलकर भी तूने दिया अभय का दान,
माँ तेरी ममता में फीका-सा लगता भगवान…


Mother Poem in Hindi

हमारे हर मर्ज की दवा होती है माँ,
कभी डाँटती है हमें,
तो कभी गले लगा लेती है माँ…

हमारी आँखों के आंसू,
अपनी आँखों में समा लेती है माँ,
अपने होठो की हँसी,
हम पर लुटा देती है माँ…

हमारी खुशियो मे शामिल होकर,
अपने गम भुला देती है माँ…
जब भी कभी ठोकर लगे,
तो हमें तुरंत याद आती है माँ…

दुनिया की तपिश में,
हमें आँचल की शीतल छाया देती है माँ…
खुद चाहे कितनी भी थकी हो,
हमें देखकर अपनी थकान भूल जाती है माँ…

प्यार भरे हाथो से,
हमेशा हमारी थकान मिटाती है माँ…
बात जब भी हो लजीज खाने की,
तो हमें याद आती है माँ…

रिश्तों को खूबसूरती से निभाना सिखाती है माँ…
लब्जो मे जिसे बयाँ नही किया जा सके,
ऐसी होती है माँ…
भगवान भी जिसकी ममता के आगे झुक जाते है,
ऐसी होती है माँ… ऐसी होती है माँ…


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